Thursday, September 2, 2010

Sant Kabir Guru Mantra( संत कबीर गुरुमंत्र)

गुरुमंत्र

एक बार एक व्यापारी संत कबीर से गुरुमंत्र लेने के लिए आया। वह बोला- महाराज, आप मुझे जल्दी से गुरुमंत्र दे दें, क्योंकि यह मेरी दुकानदारी का समय है। कबीर बोले- ठीक है, मैं तुम्हें गुरुमंत्र दे दूँगा, लेकिन इससे पहले तुम्हें मेरा एक काम करना होगा।

ये पैसे लो और जाकर दूध ले आओ। वह व्यापारी तेजी से गया और दूध लेकर आ गया। कबीर ने एक बहुत ही गंदा-सा बर्तन उसके सामने किया और बोले- यह दूध इसमें उलट दो। व्यापारी- लेकिन महाराज, यह बर्तन तो बहुत गंदा है। शायद बहुत दिनों से साफ नहीं हुआ है। मैं इसमें दूध कैसे डाल सकता हूँ। कबीर- क्यों? व्यापारी- क्योंकि दूध गंदा हो जाएगा।

कबीर- अब तुम ही सोचो कि जब तुम इस बिना मँजे बर्तन में दूध डालने को तैयार नहीं हो तो मैं राम नाम के अति पावन मंत्र को तुम्हारे वर्षों से दूषित मन में कैसे डाल सकता हूँ। इसलिए पहले अपने मन को साफ करके आओ, तभी मैं तुम्हें गुरुमंत्र दूँगा। वह व्यापारी बात समझकर चुपचाप वहाँ से चला गया।

दोस्तो, सही तो है। जब आपका मन ही शुद्ध नहीं है, तो आप अच्छी बातें कैसे ग्रहण करेंगे। नई, अच्छी और उपयोगी बातें सीखने-समझने, उन्हें मन में समाने के लिए पहले आपको अपना मन साफ करना होगा।

अन्यथा यदि आप सोचते हैं कि केवल सत्संगों में जाकर बैठने से, अच्छी-अच्छी बातें सुनने-पढ़ने से ही ज्ञान प्राप्त हो जाएगा तो यह आपकी भूल है। नया सीखने जाने से पहले जो लोग अपना पिछला-पुराना छोड़कर जाते हैं, वे ही नया लेकर लौटते हैं। और, जो पिछला लेकर जाते हैं, वे खाली हाथ ही लौटते हैं।

अक्सर लोग खुद को बदलने की ईमानदार कोशिश करने के बाद भी बदल नहीं पाते, क्योंकि वे बदलने से पहले अपना बर्तन माँजना भूल जाते हैं यानी वे पूर्वाग्रहों से मुक्त नहीं होते और जब तक ऐसा नहीं किया जाता, तब तक कोई भी व्यक्ति नई सोच बनाने में कामयाब नहीं हो सकता, क्योंकि उस नई सोच को उसका दिमाग स्वीकार ही नहीं कर पाएगा। यदि आप भी नई सोच विकसित करना चाहते हैं तो आपको भी अपने दिमाग में जमी पुरानी गर्द झाड़ना होगी।
दूसरी ओर, सोच बदलने की यही बात किसी संस्थान, किसी ऑफिस पर भी लागू होती है। जब उस ऑफिस के दूषित हो चुके या पुराने पड़ चुके माहौल को बदलने के लिए किसी नए व्यक्ति को लाया जाता है तो वहाँ मौजूद कुछ नकारात्मक मानसिकता के लोग उसके काम में अड़ंगा डालते हैं। साथ ही उसके विरुद्ध अधिकारियों के कान भरते हैं।

अधिकतर अधिकारी ऐसे लोगों की बातों पर अपने कान देकर नए व्यक्ति के बारे में विपरीत धारणा बना लेते हैं, क्योंकि ये लोग उनके पहले से विश्वसनीय जो होते हैं। यदि आप भी ऐसा कर रहे हैं तो यकीन मानिए कि वो व्यक्ति अपनी जान देकर भी आपके ऑफिस के वातावरण को नहीं बदल पाएगा। कुछ दिन हाथ-पैर मारने के बाद जब वह देखेगा कि यहाँ तो सुधार संभव नहीं है, तो कुंठित और परेशान होकर या तो भाग जाएगा या फिर समझौता कर लेगा और दोनों ही स्थिति में नुकसान तो आपका ही होगा।

इसलिए बेहतर यही है कि सबसे पहले गंदगी को साफ करें यानी उल्टी सोच वाले व्यक्तियों को अपनी सोच बदलने का एक मौका दें। जब वे देखेंगे कि आप उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं तो वे समझ जाएँगे कि अब यहाँ दाल नहीं गलेगी और वे अपने आपको बदल लेंगे। यदि नहीं बदलते हैं तो फिर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में देरी नहीं करना चाहिए, क्योंकि जब सवाल संस्था का होता है तो समझौता नहीं किया जाता।

ऐसा होने पर आपके द्वारा रखा गया वह नया व्यक्ति आपकी संस्था में आसानी से समाहित हो जाएगा और आपके सोचे अनुसार परिणाम भी दे पाएगा। ऐसा ही विचारों और गुणों के साथ भी होता है। जब आप अपने अवगुणों से छुटकारा पा लेते हैं तभी सद्गुण अपना प्रभाव दिखाते हैं।

और अंत में, आज कबीर जयंती है। यदि आपने संत कबीर की साखियाँ नहीं पढ़ी हैं तो उन्हें अवश्य पढ़ें, क्योंकि उनमें सफल जीवन जीने का जो व्यावहारिक ज्ञान छिपा है, वह आपके बहुत काम आएगा। अरे भई, बर्तन साफ हो तो भी दूध छानकर ही लेना चाहिए।

जो भी इसमें अच्छा लगे वो मेरे गुरू का प्रसाद है,
और जो भी बुरा लगे वो मेरी न्यूनता है......MMK

22 comments:

  1. sahib bandangi sir mai khud ek kabir panti hu

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    1. आपकी टिप्पणि हमारे लिए बहुमूल्य हैं,अपने भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार.

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    2. Baat sahi hai aapki par adhuri hai...sach guru bina kisi ka bhi dosh nahi mit sakta hai...

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  2. सर नमस्कार,
    सर हम आत्म ज्ञान पाना चाहते है
    हमारी श्रद्धा शुरू से राधा कृष्ण जी पर है तो हमें उन्ही का नाम दान मिलेगा या कोई और ?
    क्या गुरुमंत्र जपने से हमें सहज समाधी मिल सकती है ?

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  3. नमस्कार जी...अपने भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार...अभी हम व्यस्त है शीघ्र आपकी जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास करेगे..

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  4. kabir is supreme god
    kabir saheb hi parbrahm hai koi dusra nahi mujheapke is slok me kaha ki shiv ka udahar kyo liya

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  5. कौन हूँ मैं, मैं क्या बतलाऊँ कौन हूँ मैं ?, मैं अच्छा हूँ बदनाम भी हूँ,आगाज़ भी हूँ अंजाम भी हूँ, मैं बहती मंद बयार भी हूँ कभी जीत हूँ तो कभी हार भी हूँ, कभी भेद खोलता सत्य हूँ,तो कभी राज छुपाता मौन हूँ मैं, मैं क्या बतलाऊ कौन हूँ मैं? मैं पर्वत भी मैं खाई भी,मैं ही खुद की परछाई भी मैं पापी कामी आत्मा भी,मैं परम सत्य परमात्मा भी मैं क्या अब अपना परिचय दूं, मैं खुद न जानू कौन हूँ मैं मैं क्या बतलाऊँ कौन हूँ ?

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  6. कौन हूँ मैं, मैं क्या बतलाऊँ कौन हूँ मैं ?, मैं अच्छा हूँ बदनाम भी हूँ,आगाज़ भी हूँ अंजाम भी हूँ, मैं बहती मंद बयार भी हूँ कभी जीत हूँ तो कभी हार भी हूँ, कभी भेद खोलता सत्य हूँ,तो कभी राज छुपाता मौन हूँ मैं, मैं क्या बतलाऊ कौन हूँ मैं? मैं पर्वत भी मैं खाई भी,मैं ही खुद की परछाई भी मैं पापी कामी आत्मा भी,मैं परम सत्य परमात्मा भी मैं क्या अब अपना परिचय दूं, मैं खुद न जानू कौन हूँ मैं मैं क्या बतलाऊँ कौन हूँ ?

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  7. गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु , गुरुर देवो महेश्वरः ,
    गुरुर साक्षात परम ब्रह्म , तस्मै श्री गुरुवे नमः
    ध्यान मूलं गुरुर मूर्ति , पूजा मूलं गुरु पदम्
    मंत्र मूलं गुरुर वाक्यं , मोक्ष मूलं गुरुर कृपा ..........
    आप सभी पर गुरु की कृपा बनी रहे , गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर आप सभी को हार्दिक बनी रहे ...

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  8. गुर बिन माला फेरते गुर बिन करते दान सो सब निष्फल जायेगा बूजो बेद पुरान

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    1. आपकी टिप्पणि हमारे लिए बहुमूल्य हैं,अपने भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

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  9. गुर की महिमा अनंत है अनंत किया उपकार। लोचन अनंत उघारिया अनंत दिखाबन हार मोहन सिंह कैन मथुरा

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    1. आपकी टिप्पणि हमारे लिए बहुमूल्य हैं,अपने भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार

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  10. Sir main sat saheb ka diksha lenL chahata hun please help me
    I am west bengal Malda district
    8927745361

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  11. सत साहेब बंधी छोड़ कबीर साहेब की जय

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    1. अपने भाव प्रकट करने का बहुत बहुत आभार..

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  12. Sat Saheb Bandi chhod Kabir Sahib ki Jay sachhidanand ki Jay Ho Sanatan Dharm ki Jay

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  13. कृपया कबीर पंथ के सभी मंत्र मुझे मेरी मेल आई डी पर भेजने की कृपा करें धन्यवाद

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