Thursday, September 2, 2010

My message

तुम्हे अपने जीवन मे रुकना नही है, तुम्हे अपने जीवन मे एक क्षण भी विचार नही करना है, कि तुम्हारा जीवन बहुत थोडा सा बच गया है और पगडंडी बहुत लंबी है। हिमालय से पुरी समुद्र तक की यात्रा, जीवन मे धीरे-धीरे चलने से समुद्र नही मिल सकेगा क्योंकि नदी धीरे धीरे चलेगी तो बीच मे सुख जायेगी। तुम्हारे मेरे बीच में बहुत कम फासला रह गया है और मेरे पास बहुत कम समय रह गया है इसलिए हम उस फासले को कितना जल्दी पार कर लें, यह तुम पर निर्भर है।
कौशल

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